Wednesday, 2 January 2019

अपठित गद्यांश 2


अपठित गद्यांश 2
सूर्य अस्त हो चला था। आकाश में बादल छाए हुए थे। नीम के एक पेड़ पर ढेर सारे कौवे रात बिताने के लिए बैठे हुए थे। कौवे अपनी आदत के अनुसार, आपस में एक-दूसरे से काँव-काँव करते हुए झगड़ रहे थे। उसी समय एक मैना आई और रात बिताने के लिए नीम के उस पेड़ की एक डाल पर बैठ गई। मैना को देखकर सभी कौवे उसकी ओर देखने लगे।


बेचारी मैना सहम गई। डरते हुए बोली, "अँधेरा हो गया है। आसमान मे बादल छाए हुए है। किसी भी समय पानी बरस सकता है। मैं अपना ठिकाना भूल गई हूँ। आज रात भर मुझे भी इस पेड़ की एक डाल के एक कोने में रात बिता लेने दो।"कौवे भला कब उसकी बात मानते। उन्होंने कहा, "यह नहीं हो सकता। यह पेड़ हमारा है। तुम इस पेड़ पर नहीं बैठ सकती हो। भागो यहाँ से।"
प्रश्न 1 नीम के पेड़ पर कौन रहते थे?
2.कौवों की आदत क्या थी?
3.कौवे किसकी ओर देखने लगे?
4.मैना क्यों सहम गई?
5.मैना क्यों नीम के पेड़ पर रात बिताना चाहती थी?
6.यह पेड़ हमारा है, किसने कहा?

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