Monday, 7 April 2025

भारत देश कविता

  भारत देश


भारत देश हमारा है,

 हमें जान से प्यारा है। 

दुनिया का सरताज है ये,

सारे देशों से न्यारा है।।


गंगा-यमुना नदियाँ हैं बहतीं,

 हिमालय-सा पर्वत है।

भिन्न-संस्कृति, भिन्न हैं उत्सव, 

यहाँ भाषाओं का संगम है।।


हम सब ये वादा करते हैं,

 हम आगे बढ़ते जाएँगे। 

कभी न झुकने देंगे इसको, 

हम इसकी शान बढ़ाएँगे।।


भारत देश

शब्दार्थ: सरताज -सिर का मुकुट, सबसे ऊँचा, न्यारा -अलग, पर्वत-पहाड़, उत्सव-त्योहार

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